ताम्रकार समाज
पुराणों में हैहयवंश का इतिहास महाराज चंद्रदेव की तेईसवी पीढ़ी में उत्पन्न महाराज वीतिहोत्र के समय तक पाया जाता है | श्री मदभागवत के अनुसार महाराज ब्रह्मा की बारहवी पीढ़ी में महाराज हैहय का जन्म हुआ और हरिवंश पुराणों के अनुसार ग्यारहवी पीढ़ी में महाराज हैहय तीन भाई थे,जिनमे हैहय सबसे छोटे भाई थे | शेष दो भाई-महाहय एवं वेणुहय थे जिन्होंने अपने-अपने नये वंशो की परंपरा स्थापित की | महाराज हैहय चन्द्रवंश के अंतर्गत यदुवंश के थे और उन्होंने इसी वंश को अपने वैशिष्ठ्य के कारण हैहयवंश नाम की नई शाखा स्थापित की |
महाराज हैहय अपनी तेजस्वी और मेधावी बुद्धि के कारण बाल्यकाल से ही वेद,शास्त्र,धनुर्विद्या,अस्त्र-शस्त्र संचालन,राजनीति और धर्मनीति में पारंगत हों गये थे | महाराज हैहय का विवाह राजा रम्य की राजकुमारी एकावली तथा उनके मंत्री की सुपुत्री यशोवती के साथ हुआ | इनके एक पुत्र हुआ,जो महाराज के स्वर्गारोहण के बाद राज्याधिकारी हुए |
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